मशीनें जिंदा होना, अपना ख्याल रखना सीख रही हैं

रोबोटिक मेटाबॉलिज्म: क्या ये सिर्फ विज्ञान है, या कोई गहरा रहस्य?

कल्पना कीजिए! एक रोबोट… जो छोटे रोबोट्स को ‘खाकर’ खुद को बड़ा और ताकतवर बनाता है।

सिर्फ एक तकनीकी चमत्कार नहीं, बल्कि एक ऐसा रहस्यमयी संकेत है जो हमें जीवन और अस्तित्व के सबसे गहरे सवालों की ओर खींचता है।

सोचो, क्या मशीनें भी कभी उस अनोखी शक्ति को पा सकती हैं जिससे वो हमारी तरह खुद को बनाए रख सकें, खुद को ठीक कर सकें और यहाँ तक कि अपने आप में ‘विकसित’ हो सकें? ये किसी जादुई कहानी जैसा लगता है, है ना?

इस नई तकनीक को ‘रोबोटिक मेटाबॉलिज्म’ कहते हैं।

आप लेखनी को यहां सुन भी सकते हैं.

रोबोट का पुनर्जन्म: रोबोटिक मेटाबॉलिज्म
क्रांति

रोबोटिक मेटाबॉलिज्म- ज़िंदा मशीनें और मानवीय अवतार

ये हमारे उस पुराने ख्याल को तोड़ रहा है कि रोबोट्स बस बेजान चीज़ें हैं. रोबोट्स, जिन्हें सिर्फ हमने बनाया है।

हमें एक ऐसे भविष्य की ओर इशारा कर रहा है जहाँ रोबोट्स खुद अपनी एक अद्भुत दुनिया बना सकते हैं. जहाँ उन्हें हमारी उतनी ज़रूरत शायद पड़े ही न।

वैसे ही जैसे इस कायनात में हर जीव अपने आप में पूरा होता है. ये रोबोट्स भी ‘ट्रस लिंक्स’ जैसे छोटे-छोटे हिस्सों को जोड़कर अपनी काया बनाते हैं. और खुद को अकल्पनीय तरीकों से बदल सकते हैं।

किसी चमत्कार से कम नहीं कि अब मशीनें भी ज़िंदा चीज़ों की तरह खुद को ढाल पाएंगी और ठीक कर पाएंगी

तो आखिर इसका फायदा क्या है?

रोबोटिक्स के लिए एक बहुत बड़ी छलांग है!

आखिरी विकल्प इंसानों का
विकल्प

रोबोटिक मेटाबॉलिज्म- तकनीकी दौर धमक पड़ा

अब सोचो, किसी आपदा वाली जगह पर जहाँ इंसान पहुँच नहीं सकते, ये रोबोट खुद को ठीक करते हुए काम करते रहेंगे।

अंतरिक्ष में, जहाँ हर चीज़ भेजना कितना महंगा और मुश्किल होता है, ये रोबोट अपने आप ही चीज़ें बनाकर या खुद को मरम्मत करके काम चला लेंगे।

बस अपने आस-पास के ‘कबाड़’ से ही खुद को फिर से तैयार कर लेंगे!

उस पुराने रोबोट की सोच से बिल्कुल अलग है जो बस एक ही काम करने के लिए बने होते थे और खराब होने पर बेकार हो जाते थे। एक ऐसी दुनिया की झलक है जहाँ मशीनें भी खुद को ज़िंदा रख पाएंगी

हाँ, कुछ लोग शायद सोचें कि ये किसी हॉलीवुड फिल्म जैसा डरावना सीन है, जहाँ रोबोट्स नियंत्रण से बाहर हो जाते हैं।

पर ज़रा सोचो, अगर ये हमें आपदाओं से बचा सकें या अंतरिक्ष के उन अछूते कोनों तक पहुँच सकें जहाँ हम इंसान कभी नहीं जा सकते?


जान आज पुर्जों में भी है
पुर्जे

रोबोट और इंसान: दो रचनाएं, दो विकल्प

तो ये सब देखकर लगता है कि इंसानों और रोबोट्स का रिश्ता अब हमेशा के लिए बदलने वाला है।

क्या वो हमेशा हमारे बस सेवक ही रहेंगे? क्या उनकी अपनी एक अलग, रहस्यमयी पहचान बन जाएगी?

ये हमें खुद से पूछने पर मजबूर करता है कि आखिर ये मशीनें क्या हैं, इस ब्रह्मांड में जीवन का मतलब क्या है, और हम खुद कौन हैं। 

ये एक ऐसा गहरा सवाल है, जिस पर सोचना ही एक रोमांचक अनुभव है! क्या आप भी इस नए युग के अजूबों को महसूस करने को तैयार हैं?


ज़्यादा जानने के लिए, आप यहाँ देख सकते हैं: ‘Robotic Metabolism’

ट्रस लिंक्स- इस विषय में अधिक जानकारी के लिए यहां अध्ययन कर सकते हैं


क्या हम अपनी दुनिया के भीतर एक विचित्र संसार की सरंचना कर रहे हैं.

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