ट्रस लिंक्स

क्रांतिकारी उत्पत्ति

“ट्रस लिंक्स” रोबोटिक्स में एक क्रांतिकारी सफलता है, जो मशीनों को जैविक जीवों की तरह बढ़ने, खुद को ठीक करने और अनुकूलित करने की अनुमति देती है।

यह तकनीक कोलंबिया विश्वविद्यालय (Columbia University) के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित की गई है और यह ‘रोबोटिक मेटाबॉलिज्म’ नामक एक नई अवधारणा पर आधारित है।

‘ट्रस लिंक्स’ क्या हैं?

इस ‘रोबोटिक मेटाबॉलिज्म’ के पीछे का असली जादू ‘ट्रस लिंक्स’ में छिपा है। ये सिर्फ धातु के छोटे-छोटे टुकड़े नहीं, बल्कि खास तरह के छह-कोणीय रॉड होते हैं जिनमें चुंबकीय कनेक्टर लगे होते हैं।

इन्हें ऐसे डिज़ाइन किया गया है कि ये सिकुड़ सकते हैं, फैल सकते हैं और एक-दूसरे से जुड़कर बेहद जटिल और मजबूत ढाँचे बना सकते हैं। सोचिए, एक रोबोट खुद ही अपने शरीर के लिए नए ‘मांसपेशी’ या ‘हड्डियाँ’ कैसे बना रहा है—बस इन्हीं लिंक्स को इकट्ठा करके!

ये बिल्कुल ऐसा है जैसे कोई जीव अपने आस-पास के पोषण से खुद ही अपनी कोशिकाओं का निर्माण कर रहा हो। यही वो ‘बिल्डिंग ब्लॉक्स’ हैं जो इन रोबोट्स को सिर्फ मशीनों से कहीं बढ़कर, खुद को बदलने और विकसित करने वाले जीव जैसा बनाते हैं।

यहीं पर इसकी असली कामयाबी नज़र आती है। क्योंकि ये लिंक्स इतने अनुकूलनीय हैं, रोबोट खुद ही अपने खराब हुए हिस्सों को बदल सकते हैं या ज़रूरत पड़ने पर अपने आकार और काम को बदल सकते हैं।

मान लीजिए, किसी रोबोट का एक हिस्सा टूट गया, तो उसे ठीक करने के लिए इंसान को भेजने की ज़रूरत नहीं। वो खुद ही आस-पास से नए ‘ट्रस लिंक्स’ इकट्ठा करके उसे बदल लेगा। अगर उसे किसी संकरी जगह से गुज़रना है, तो वो खुद को छोटा कर सकता है, और फिर खुले मैदान में बड़ा हो सकता है।

यह क्षमता उन्हें अप्रत्याशित और बदलती परिस्थितियों में आत्मनिर्भर बनाती है, जो वाकई एक अभूतपूर्व उपलब्धि है।


यह कैसे काम करता है?

यह प्रक्रिया तब शुरू होती है जब व्यक्तिगत ‘ट्रस लिंक्स’ पर्यावरण से इकट्ठा होते हैं। वे पहले सरल द्वि-आयामी (2D) आकृतियाँ बनाने के लिए संयोजित होते हैं, जैसे त्रिकोण। इन सरल संरचनाओं से, वे फिर अधिक जटिल त्रि-आयामी (3D) रोबोटों में रूपांतरित हो सकते हैं।

इस तकनीक की प्रमुख विशेषताएं हैं:

  • आत्म-सुधार: यदि रोबोट का कोई हिस्सा क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो वह बस एक नए ‘लिंक’ को ढूंढकर और उसे एकीकृत करके उस हिस्से को बदल सकता है।
  • अनुकूलन: रोबोट अपने आकार और रूप को बदलकर नई चुनौतियों का सामना कर सकता है। उदाहरण के लिए, एक रोबोट खुद को एक संकीर्ण रास्ते से गुजरने के लिए पुनर्व्यवस्थित कर सकता है या किसी कार्य में सहायता के लिए एक अतिरिक्त ‘लिंक’ को ‘चलने वाली छड़ी’ के रूप में जोड़ सकता है, जिससे उसकी गति में 66% से अधिक की वृद्धि होती है।
  • वृद्धि: अधिक ‘लिंक्स’ को शामिल करके, रोबोट शारीरिक रूप से बड़ा हो सकता है और अधिक जटिल कार्य करने की क्षमता हासिल कर सकता है।

यह क्षमता मशीनों को अप्रत्याशित वातावरणों में, जैसे कि आपदा क्षेत्रों या अंतरिक्ष अन्वेषण में, मानवीय हस्तक्षेप के बिना लंबे समय तक आत्मनिर्भर और लचीला बने रहने की अनुमति देती है।

यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता को न केवल सोचने, बल्कि अपने भौतिक स्वरूप को विकसित करने और बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

धन्यवाद.